बेरोजगारी की महामारी
## बेरोजगारी की महामारी##
गीता में श्री कृष्ण ने कहा कर्म करो तो फल मिलता है,
लेकिन अब ऐसा कहां होता कर्म के बाद जख्म मिलता है।
नींदे त्यागी सुख है त्यागा कर्म निरंतर करते हैं,
दिन प्रतिदिन कठोर श्रम करके निज पथ पर हम चलते हैं।
गर्मी सर्दी कड़ी धूप में धरने पर भी रहते हैं
साल छमाही धरने देकर इम्तिहान तब देते हैं।
पेपर में होती पारदर्शिता दूर दूर सेंटर जाते,
चाहे हो कितनी कठिनाई पेपर हम हल कर आते।
देकर पेपर जैसे ही मन को कुछ हल्का कर पाते ,
सुबह होते ही अखबारों में पेपर लीक खबर पाते।
क्या होती होली है उनकी ? क्या होती दिवाली है,?
अंतर्मन की गहरी पीड़ा भला कैसे सही जाती है
।
यदि युवा शक्ति कमजोर पड़ी तो क्या भारत कभी बदलेगा?
सुभाष, बोस जैसे बीर न होते तो क्या देश आजाद होता?
आंखें नम है हृदय में गम है शिक्षा विभाग ने किया बड़ा छल है,
विवाह में हो रही बड़ी अड़चन है हो गए जिनके पास न धन है।
आंखों में भी चश्मा लग गया उम्र बढ़ती जा रही निरंतर,
उर में जीत की आस जगी है ,चलते जा रहे प्रतिदिन पथ पर।
अनामिका तिवारी ‘ अन्नपूर्णा ‘