बेरुखी सी जिंदगी
कभी जो पुछे मुझको होकर बेरुखी सी जिंदगी मुझसे,
है यहां पर कौन तेरा,
मुस्कुरा कर कहा मैंने तू तो नहीं किसी की भी,
पर वो है बस मेरा।
साथ तेरा है जैसे सुख भी संग दुख भी संग,
साथ मेरे वो है ऐसे हो जैसे इन्द्रधनुषी रंग।
तेरे होने से क्या सबको सब कुछ मिल पाता है,
साथ मेरे वो हो जब तो सब कुछ मुझको मिल जाता है।
तुम हो जैसे कड़कती धूप, है वो मानो सरदी की धुप,
तुम हो जैसे बेरंग बयार, है वो मानो बसंती बयार।
तुम हो जैसे बागों में पतझड़, है वो मानो सावन का मौसम,
तुम हो जैसे कांटों की राह, है वो मानो नवजीवन की चाह।