बेनाम रिश्ते
निखरती कृति
तराशी जाती लेखनी
इक नया आयाम रचती
लेखनी का दर्द
कृति का निखार
कर जाता सार्थक
इन दोनों का
ये बेनाम रिश्ता
सूर्य को अलविदा कहता
सुरमई अँधेरा
नभ की चुनरी मे
टांक जाता
अपने इश्किया
मन्नतों के सितारे
खूबसूरत से ये
बेनाम रिश्ते
तपती धूप में
पैरो में पड़े छालों को
सहलाते
छाव से बहलाते
गुलमोहरी छाव और धूप के
आँखमिचौली खेलते क्षण
स्मृति पथ पर रच जाते
कुछ बेनाम रिश्ते
मीनाक्षी भटनागर नई दिल्ली
स्व रचित
30-10-2017