बेदर्द ज़िंदगी
ज़िन्दगी हमारी कितनी बेदर्द हो गयी!
खुशी भी न जाने कहाँ दफ़न हो गयी!
इश्क लिखा सबकी तकदीर में खुदा ने!
हमारी बारी पर तो स्याही खत्म हो गई!
?-अनूप एस.
ज़िन्दगी हमारी कितनी बेदर्द हो गयी!
खुशी भी न जाने कहाँ दफ़न हो गयी!
इश्क लिखा सबकी तकदीर में खुदा ने!
हमारी बारी पर तो स्याही खत्म हो गई!
?-अनूप एस.