Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2024 · 2 min read

बेदर्दी मौसम🙏

बेदर्दी मौसम
दर्द क्या जाने🙏
🔵🔵🔵🔵🔵
मौसम है अनजान
रास्ता है सुनसान
बर्फीली बयार बह रही
संय संय नाद हो रही

घन घन-घना अम्बर से
गद गद पानी बरस रही
टिप टिप बूंदें टपक रही
नग तल श्वेत श्रृंगार की

चांदी की वसन चमक
मनभावन छटा बिखेर
सप्तरंगी इंद्रधनुष जन
सौन्दर्य उर्जा बढ़ा रही

गाछी डाली गले लिपट
दारुन कथा सुना रही
वेदर्दी मौसम की हुंकार
सुन रुक्ष रूह काँप रही

खून जम जीवन थमा
भू गर्भ को ठिठुरा रहा
मोटे वसन वदन पर
वर्फ फुहार वसन पर

सूखी रोटी मिली नहीं
पेट पीठ का पता नहीं
जठरानल आग उगल
दिमागी बत्ती बुझा रहा

संय संय स्वर गूंज रही
तरु शाखीय भू छू रही
दम्भी दीर्घ रुक्ष डाली

झुक झुक भू स्पर्श से
निज अहंकार तोड़ रही
कमर मरोड़ चुभन दर्द
बेचैनी महसूस कर रही

चेहरा उग्र है मौसम का
नयन वर्फीली आगों से
दावानल को बुझा रही
झूम रही गाछी शाखी

डोल रही डाली पाती
टूट गया तो बिछुड़ गया
बिछुड़ा कहां मिलता है
चकना चूर हो जाता है

बेदर्दी मौसम दर्दहीन हो
वादी भर रहा जख्मों से
औषधहीन जलाजल में
हृदयी धड़कन रक्तचाप

बढ प्राण पखेरू उड़ रहा
बर्फीली तूफां भू सागर का
एवलान्स फेलिकन विविध
नामों से पहचान बना रहा

धरती को रौंद आंखों में
पानी तन पर गाद परत भू
पसार रोने चिल्हाने को छोड़
मौसम करबट बदलता है

अर्थ व्यवस्था की कमजोरी
विकास पटरी से उतार नाम
इतिहास दर्ज करा जाता है
पर्यावरण संरक्षण एक

अमूल्य संदेश दे जाता है
हाय रे हाय ये मौसम दर्द
क्या जाने ये बेदर्दी कह
जन जख्मों पर संतोषी

दवा लगा नूतन शुरुआत
में निज उर्जा लगा देता है
नई विकास व्यवस्था को
पथ पटरी पर ले आता है ।
🙏🙏☘️☘️☘️🙏🙏

तारकेश्‍वर प्रसाद तरूण

Language: Hindi
1 Like · 93 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
View all
You may also like:
Movers and Packers in Bhiwani
Movers and Packers in Bhiwani
Hariompackersandmovers
भारत को निपुण बनाओ
भारत को निपुण बनाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
4568.*पूर्णिका*
4568.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*हनुमान के राम*
*हनुमान के राम*
Kavita Chouhan
इच्छाएं.......
इच्छाएं.......
पूर्वार्थ
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
Rituraj shivem verma
या इलाही फ़ैसला कर दे….
या इलाही फ़ैसला कर दे….
parvez khan
अब घोसले से बाहर निकलने को कहते हो
अब घोसले से बाहर निकलने को कहते हो
Trishika S Dhara
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
गुरुपूर्व प्रकाश उत्सव बेला है आई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
Diwakar Mahto
"प्रणय-डगर आमंत्रण देती,
*प्रणय प्रभात*
किसी की याद मे आँखे नम होना,
किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
क्यों मूँछों पर ताव परिंदे.!
क्यों मूँछों पर ताव परिंदे.!
पंकज परिंदा
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
Anil Mishra Prahari
बारिशों  के  मौसम  में
बारिशों के मौसम में
shabina. Naaz
Mental health
Mental health
Bidyadhar Mantry
संभावना
संभावना
Ajay Mishra
"क्यों नहीं लिख रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
आप हँसते हैं तो हँसते क्यूँ है
आप हँसते हैं तो हँसते क्यूँ है
Shweta Soni
आजमाइश
आजमाइश
AJAY AMITABH SUMAN
धुएं के जद में समाया सारा शहर पूछता है,
धुएं के जद में समाया सारा शहर पूछता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*नजर के चश्मे के साथ ऑंखों का गठबंधन (हास्य व्यंग्य)*
*नजर के चश्मे के साथ ऑंखों का गठबंधन (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
कवि दीपक बवेजा
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शब्दों की मशाल
शब्दों की मशाल
Dr. Rajeev Jain
Loading...