बेटी
कुंडलिया
बेटी को कहते सभी, देवी का हैं रूप।
नवरात्रों में पूजते, सभी रंक व भूप।
सभी रंक व भूप, मानते देवी जैसा।
झुका चरण में शीश, चढ़ाते रुपया पैसा।
उसका ही अपमान, बनाते उसको चेटी।
स्वार्थमयी संसार, नहीं सम्मानित बेटी।।
डाॅ. सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली