बेटी
बेटी घर की सुकून होती है,
बेटी माँ को जान होती है,
पापा की प्राण होती है,
बेटी हर घर की मान होती है।।
जब बेटी पैदा होती है तब,
घर में खुशी का माहौल होता है,
जब बेटी बड़ी हो जाति है तब,
घर में उससे बिछड़ने का दुख होता है।।
बेटी का पिता के प्रति प्यार,
मा के जैसा होता है,
जब पिता की तबियत बिगड़ जाती है,
तब एक बच्चे की तरह वो अपने पिता की देखभाल करती है।।
बेटी अनमोल तोहफा है ईश्वर का,
सम्भालो बड़े प्यार से इसे,
क्योंकि हर किसी को नसीब नहीं होता,
एक बेटी का पिता बनना।।
सच में बेटी घर की सुकून होती है,
हर घर की मान होती है बेटी।।
स्वरचित
अनुराग श्रीवास्तव “अंकित”