बेटी
जीवन सुरक्षा कौन करेगा।
बेटी गर्भ से लेकर यौवन ,
तक रक्षा कौन करेगा ।
जीवन की कटु सच्चाई ।
इसलिए तो पति, भाई है।
दुनियाँ की आधी आबादी की रक्षा कौन करेगा।
अपना रचा भ्रम कब तोड़गी ।
अपनी गरिमा को लघिमा में कब बदलोगी ।
जीने का अंदाज कब बदलेगी।
रसोई छोड़ , रोजगार पकड़ ओगी ।
तेरी मुक्ति की शुरूआत यही से है।
देख अपनी माँ को देख ।
कहती सिर्फ यहीं हैं।
बेटी अपनी कथा,अपनी व्यथा लिए जीती हैं ।
विभिन्न पहलुओं से हम भी गुजरते हैं ।
बेटी बचाओ लें ,बेटी के माँ-बाँप ,समाज
ये आरजू ये आगाज हैं।
दरअसल इंसानियत का दरकार है।
कितने दूर कितने पास हैं ।
जो रिश्ते का अहसास है ।
बेटा से बेटी भली जो कुलवंती हो
ये पुरानी कहावत है। जोआदत ,
बेटी से सौतेला व्यवहार क्यों ,
वो भी तो आप ही का हिस्सा है ।
_डॉ. सीमा कुमारी बिहार, (भागलपुर) ये कविता
मेरी स्वरचित रचना हैं जो 5-1-022 का है। इसे आज प्रकाशित कर रही हूँ।