बेटी सयानी हो गयी।
इस जहाँ में इश्क की अदभुत कहानी हो गई।
श्याम की वंशी को सुन राधा दिवानी हो गयी।।1
चांद तारे हँस रहे हैं देखकर अपना मिलन।
आज की ये शाम भी कितनी सुहानी हो गई।।2
रात दिन है फिक्र मुझको एक ही अब तो यहाँ।
घर मेरे भी एक बेटी अब सयानी हो गई।। 3
इश्क ने हमको किया बरबाद है कुछ इस तरह।
दर बदर अपनी ये देखो जिंदगानी हो गई।। 4
देख कर चूल्हे यहाँ ठंडे गरीबों के लगा।
अब बहुत मुश्किल यहाँ रोटी कमानी हो गई।। 5
प्रश्न इक करता हमेशा है परेशां अब मुझे।
झूठ से कमजोर कैसे सच बयानी हो गई।। 6
आज सच बतला रहा हूँ दोस्तों सुन लो जरा।
दीप के दिल पर किसी की हुक्मरानी हो गई।। 7
प्रदीप कुमार “दीप”