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25 Jan 2017 · 1 min read

बेटी (विदाई गीत)

लीजिए प्रस्तुत है विदाई गीत

गूँज उठी शहनाईयाँ कितने दिनों के बाद।
हुई पराई लाड़ली बस रह गई है याद।।
जाओ मेरी लाड़ली सज सोलह श्रृंगार।
बेटी को कहे बाप लिए नैन अश्रु धार।।

सासू की करना सेवा ,प्रियतम का रखना ध्यान।
घर के सभी बड़ों का करना सदा सम्मान।।
नणदल है सखी तेरी सुख दुख में दिनों रात ।
देवर से हँस के रहना कह देना दिल की बात।।
पिता समान ससुर का तू पाती रहना प्यार।
बेटी को कहे बाप………………

आजू बाज़ू तुझको संसार रोकेगा।
कोई न करना गलती परिवार टोकेगा।
पीहर की सीख मन में तू अपने ये भरले।
ससुराल स्वर्ग जैसा तन-मन से सेवा करले।।
जीवन के इस सफ़र को तू करना हँस के पार।
बेटी को कहे…………………

** अनमोल तिवारी”कान्हा”**

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