बेटी बोली बाबुल बातें तो सुन लो
बेटी बोली बाबुल बातें तो सुन लो
***************************
बेटी बोली बाबुल बातें तो सुन लो,
हरा-भरा उपवन फूलों को चुन लो|
कन्यादान हुआ फिर हूई विदाई,
बेटी बोली बाबुल दो दिन रख लो|
मां को गले लगा कर खूब वो रोई,
रोती-रोती बोली सीने सिर धर लो|
भाई के कंधे लिपटी सहमी-सहमी,
कुछ न मांगू तुमसे दिल में रख लो|
सखियो संग खेली बन हमजोली,
छूटने लगी हैं राहें बांहों में भर लो|
दर्द – जुदाई सह न पाये मनसीरत,
खाली मेरी झोली खुशियां भर लो|
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)