बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी तो हैं अभिमान हमारा, ये तुमको मैं समझाती हूं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, ये गीत प्रेम का गाती हूं।।
:- बेटी को मरवाकर क्यों, बेमतलब तू पाप कमाए।
हो जाए तेरी ठंडी काया, बेटी को जो तू गले लगाए।
ये है फरमाइश इसकी, पापा इसे बस लाड लड़ाए।
भूल जाये तू हर दुख को, एक बार जो बेटी मुस्काए।।
बेटी बिन घर आंगन सूना, ये आज मैं तुम्हे बतलाती हूं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, ये गीत प्रेम का गाती हूं।।
:- बोलने लगी अब ये बिटिया, अब पढ़ने की बारी है।
बेटी को शिक्षित बनाओ, ये दौलत अनमोल हमारी है।
थोड़ा चाहिए बस इसको प्यार, ये कब किससे हारी है।
नजर उठाके देख जरा, हर कदम पर बाजी मारी है।।
दो घरों की शान बेटिया, इस बात पर इठलाती हूं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, ये गीत प्रेम का गाती हूं।।
:-बेटी बचा और बेटी पढा, तभी तो तू कहलाये इंसान।
गर्भ में इसको मार गिराए, माँ-बाप नही तू है हैवान।
इसको ना जो पढ़ने दिया, बन बैठा है क्यों तू शैतान।
हरकर के प्राण इसके तूने, बना लिया घर को शमशान।
चारों तरफ देख सुषमा, अश्रु भी अविरल बहाती हूं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, ये गीत प्रेम का गाती हूं।।