बेटी-पिता का रिश्ता
पापा से कहती है बेटी
मुझे स्टेशन छोड़ने आया न करो ,
आप अपने आंसुओं को छिपाते हो
मुझ से ही अपने नजर फेर कर
इस तरह से नजर घुमा कर
मंद मंद मुस्कुराया न करो
पापा आप मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो !!
घर की सारी जिम्मेदारी बखूबी निभाते
जरा सा भी खर्चा खुद पर नहीं करते ,
सोच सोच कर भी कितने सामान खरीदते ,
साईकल पर ही ऑफिस की दूरी तय करते
मुझ को मुट्ठी भर रुपये हथेली पर धरते
बस मेरे लिए कुछ भी कर सकते
पापा आप मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो !!
खाने पीने का सामान रखा कि नहीं
टिकट तो तुम अपनी कही भूली तो नही ,
बटुए में रास्ते के लिए खुले पैसे रखे या नही
हर बार पर फ़िक्र आप जताया न करो
पापा आप मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो !!
अपने हाथो से ट्रैन में सामान रख जाते
सत्ता सत्ता कर सारे बैग जमा जाते ,
अकेली जा रही हो बेटा अपना ध्यान रखना
पास बैठी महिला तक को समझा जाते
पापा आप हर पल इतनी चिंता जताया न करो
पापा आप मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो !!
पहुँच कर फोन कर देना
रास्ते में किसी से लेकर कुछ न खाना
ट्रैन से उत्तर का आराम से बस लेना
फिर अपने घर ऑटो रिक्शा से जाना
न जाने कितनी बातो से समझाया करते हो
कब आओगी दोबारा मिलने हमसे
यूं उदासी से सर पर हाथ फिराया न करो
पापा आप मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ