Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2023 · 1 min read

बेटी पिता का अंतरतम प्रेम..

एक आकर्षण छुपा हुआ है
तेरे सुंदर मुखड़े में,
ये मेरे अंश का प्रतिफल है,
या आता तेरे प्रारब्ध के कल में ।

जब भी तेरा मुखड़ा दिखता
आनंद उभर आ जाता है
तेरे होंठों पर मुस्कान लिए
मेरा संतोष मुझे दिख जाता है ।

पता नही क्यो जिम्मेदार हुआ हूँ
तेरा मेरे जीवन में आ जाने से
पुरुष से अब मैं पिता हुआ हूँ
बेटी को अपनी गोदी में पाने से ।

है जन्मों का एक पथ हमारा
जिसपर तुझे आगे लेकर बढ़ना है
मैं तेरे पथ का रथवाह हुआ हूँ
मेरा जन्म सफल तुझे कर देना है ।

मेरी पातकता को हरने
रत्नगर्भा शरीर लिए जन्मी है
मुझे ऋणों से मुक्त कराने
मेरा सौभाग्य लिए मेरी बेटी जन्मी है ।

मुझे चाहिए ना आगे कुछ,
तेरी खुशियों का आधार बनूँ
संघर्षमयी तेरे जीवन पथ पर
स्पंज की तरह मैं काम करूँ..।

चलता है जीवन ऊपर-नीचे
तुझे भी इसी राह पर चलना है,
आखों में हरदिन उत्साह लिए
कर्मपथ पर तुझे विजश्री होना..।

मेरे जीवन का उद्धार हुआ है,
कन्यादान के सौभाग्य से,
ब्रह्मांड मेरा खुशहाल हुआ है
तेरे होंठो पर मुस्कान से..।

हुआ पुत्र जब खुशी से ज्यादा
अहम भरा था मेरे सीने में
आँखें खोली बेटी तूने जब
हृदय झलक आया मेरी पलकों में ।

तेरे जन्म पर ही मैं जाना
अहम से बढ़कर होता है प्रेम
बेटा अगर गुरुर हुआ है तो
बेटी होती पिता के अंतरतम का स्नेह ।

प्रशांत सोलंकी
नई दिल्ली-07

1 Like · 230 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all
You may also like:
लगा समंदर में डुबकी मनोयोग से
लगा समंदर में डुबकी मनोयोग से
Anamika Tiwari 'annpurna '
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
Chaahat
वो मुझे
वो मुझे "चिराग़" की ख़ैरात" दे रहा है
Dr Tabassum Jahan
चुनाव के दौर से (नील पदम् के दोहे)
चुनाव के दौर से (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ढूंढा तुम्हे दरबदर, मांगा मंदिर मस्जिद मजार में
ढूंढा तुम्हे दरबदर, मांगा मंदिर मस्जिद मजार में
Kumar lalit
नाराज़गी भी हमने अपनो से जतायी
नाराज़गी भी हमने अपनो से जतायी
Ayushi Verma
बूंद बूंद से सागर बने
बूंद बूंद से सागर बने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हृद् कामना ....
हृद् कामना ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
Know your place in people's lives and act accordingly.
Know your place in people's lives and act accordingly.
पूर्वार्थ
ये कैसे रिश्ते है
ये कैसे रिश्ते है
shabina. Naaz
गर्मी से है बेचैन,जरा चैन लाइये।
गर्मी से है बेचैन,जरा चैन लाइये।
Sachin Mishra
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
Piyush Goel
करो सम्मान पत्नी का खफा संसार हो जाए
करो सम्मान पत्नी का खफा संसार हो जाए
VINOD CHAUHAN
रंगों का महापर्व होली
रंगों का महापर्व होली
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जीवन में कुछ बचे या न बचे
जीवन में कुछ बचे या न बचे
PRADYUMNA AROTHIYA
आज कल...…... एक सच
आज कल...…... एक सच
Neeraj Agarwal
🍁अंहकार🍁
🍁अंहकार🍁
Dr. Vaishali Verma
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज़िंदगी की
ज़िंदगी की
Dr fauzia Naseem shad
मं
मं
*प्रणय*
"अहम्" से ऊँचा कोई "आसमान" नहीं, किसी की "बुराई" करने जैसा "
ललकार भारद्वाज
*होता अति आसान है, निराकार का ध्यान (कुंडलिया)*
*होता अति आसान है, निराकार का ध्यान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चिन्ता कब परिवार की,
चिन्ता कब परिवार की,
sushil sarna
जब टैली, एक्सेल, कोडिंग, या अन्य सॉफ्टवेयर व अन्य कार्य से म
जब टैली, एक्सेल, कोडिंग, या अन्य सॉफ्टवेयर व अन्य कार्य से म
Ravikesh Jha
عظمت رسول کی
عظمت رسول کی
अरशद रसूल बदायूंनी
मां चंद्रघंटा
मां चंद्रघंटा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4722.*पूर्णिका*
4722.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"मत पूछो"
Dr. Kishan tandon kranti
हम क्यूं लिखें
हम क्यूं लिखें
Lovi Mishra
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
Manisha Manjari
Loading...