बेटी ज्वान होई ग्या!
मां:-
नौनी ज्वान होई ग्या,
कुई नौनू ढूंढ बुढ्या!
पिता:-
नौनी अभी बाली छः,
कच्ची या डाली छ:!
मां-
बाली या उमर छः,
छौरों की नजर छः,
औंदा जांदा रिंगदा छा,
ना जाने क्या क्या त ये बिंगदा छा,
तुम क्या जाणैं मैं पता,
कुई नौनू अब ढुंढ बुढ्या!
पिता:-
तू त ऐनी रंगताणी छैं,
क्या क्या मैं तैं बताणी छैं,
नौनी अभी बाली छः,
कच्ची या डाली छ:!
मां:-
मैं बतौणू छौं त्वैई,
नौनू ढूंढ ले तू कोई,
मेरी बात मानी जा,
फुर्र उड़ी जाली या,
कनैं मुख दिखौला फिर,
कनैं ब्वारी लौला फिर,
नौनी ज्वान होई ग्या,
कुई नौनू अब ढुंढ बुढ्या!
पिता:-
कनी तू कजाण छैं,
क्या क्या तू बताणी छैं,
नौनी अभी बाली छः,
कच्ची या डाली छ:,
पढ़ी लिखी जाली जब,
होश खुद संम्भाल्ली तब,
नौना त फिर भी मिल जाला,
पैली ईं तैं पढै याला,
जमानु अपणु चली ग्या,
बाल विवाह अब नी रया,
मैं त्वै तैं बताणू छौं अब,
पढ़ी लिखी जाली जब,
खुद भी कमाली तब,
सुण ले बात तू मेरी,
ना रयी तू यनी डरी डरी!
हां नौनी ज्वान होणी छः,
यू भी वीं तैं समझौणु छः,
अभी पढ़ी लिखी जाई तू,
भटकण मा ना आई तू,
सुण जा बात तू मेरी,
ना रयी तू एनी डरी डरी,
नौनी अभी बाली छः,
कच्ची या डाली छ:!