बेटी जब घर से भाग जाती है
चुप-चुप सा परिवार है ,हुई बड़ी अब बात ।
भाग गई बेटी कहीं , घिरी अँधेरी रात ।।1
गली-गली चर्चे हुए ,नाम हुआ बदनाम ।
छोड़ गई दुख से भरा ,कस्बे में अंजाम ।।2
स्नेह हमारा याद कर ,करती कुछ उपकार ।
पाँव उसी दिन रोकती ,रहता मुँह उजियार ।।3
अश्रु बहाते नत नयन ,तड़प रही माँ नित्य ।
दाग लिए सिर पर पिता ,भाई दृग लोहित्य ।।4
सुता बड़ी तू क्यों हुई ,की न किसी का ख्याल ।
क्यों भागी घर छोड़ तू ,करते सभी सवाल ।।5
जैसे तू घर से गई ,साथ गया सम्मान ।
लज्जित तन- मन-को दिया , क्या तूने प्रतिदान ।।6
शोभा की संचार थी ,दो कुल की थी लाज ।
थी तू सिर पगड़ी सरस ,समझे बेटी आज ।।7
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
27/5/2022
वाराणसी