बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बेटा था घर का सूरज, रोशनी अब आई
घर आँगन चौबारे ज्ञान की ज्योत जलाई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बेटी का पैदा होते ही ले लिया होता दम
सोचो, कहाँ से पैदा हुए होते तुम और हम
वंश बढ़ाएगा क्या बेटा अकेला?
बेटा ही हो, भगवान एक बेटा झोली डालो
ऐसी दुहाई क्यों देते हम सब?
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
परियों सी होती है बेटी, छुईमुई न बनाना
पढ़ाना लिखाना इसको, स्वावलंबी बनाना
पढ़ गयी जो बेटी, माँ बाबा की शान बढ़ाये
देश का नाम जगभर में ऊंचा करती जाए
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
टीचर डॉक्टर कलेक्टर पुलिस वकील
क्या क्या बन गई रही आज बेटी
पर्वत खाई समंदर सबको लांघ
नभ के सितारे छू रही है बेटी
हाँ हाँ छू रही है बेटी
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
घर की आन बान शान है बेटी
माँ पिता का अभिमान बेटी
रानी झांसी मनु भी है बेटी
भारत कोकिला सरोजिनी भी तो बेटी
कल्पना,चंदा,सायना-सानिया देश की बेटियां
अरुंधति भट्टाचार्य भी है बेटी
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
थोड़ा हाथ तुम बढ़ाओ बेटी के जन्मदाता
थोड़ा साथ देगी देखो यह अपनी सरकार
वर्दी, किताबें, छात्रवृति, बैंक बैलेंस लाडली का
पौष्टिक खाना, आयरन की गोली बाँट रही शिक्षा संग
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
बधाई हो बधाई, बेटी घर पर आई
© नीलू ‘नीलपरी