बेटी के दो पाँव
ठंडी भी गर्मी लगे …..गर्मी मे हो छाँव !
आँगन मे जब भी पड़ें,बेटी के दो पाँव !!
गलती को अपनी स्वयं,किया अगर स्वीकार !
इसे जीत ही मानिए, … .नही समझना हार !!
रमेश शर्मा
ठंडी भी गर्मी लगे …..गर्मी मे हो छाँव !
आँगन मे जब भी पड़ें,बेटी के दो पाँव !!
गलती को अपनी स्वयं,किया अगर स्वीकार !
इसे जीत ही मानिए, … .नही समझना हार !!
रमेश शर्मा