*बेटी की विदाई*
एक तरफ नजारा खुशियों का, रंग बिरंगे फूल मालाएं गलीचे,
रंगभूमि आतिशबाजी का शोर, कहीं बाजे डीजे की झंकार।
कहीं पायलों की छम छम,कही रंगों की बहार।
चारों ओर खुशी ही खुशी है और खुशी का नजारा।
दूसरी ओर देखे तो, हर कोई दुखी है।
वह गम के आंसू वो घड़ी जब, शहनाई की गूंज कानों में कहेगी,
कि कोई अपना खास, आज पराया होने वाला है।
जो जन्म से अब तक साथ रहा पला बढ़ा,
जिसने अपनी निस्वार्थ सेवा दी अपने भाई बहन के लिए,
अपने माता-पिता और पूरे परिवार के लिए।
आज मां-बाप का दिल का टुकड़ा हो रहा है पराया,
जिसने हर पल हर क्षण साथ बिताया।
वो यादें वो कसमें वो चपला सी हंसी, मासूम सूरत,
आज क्यों लगती है वो? सचमुच पत्थर की मूरत।
आस पड़ोसिन चाची ताई की सुंदर सी प्यारी गुड़िया,
चाचा ताऊ दादा दादी की टूट गई आज लड़िया।
भाई की सुबकियां बहन की किलकारियां,
लगभग पूरी हो चुकीं हैं विदाई की तैयारियां।
आज सात फेरों से पराई हुई ये दुनिया की रीत,
आज क्यों पराई लगती है, अपनी ही मनप्रीत।
कहे दुष्यन्त कुमार कहीं मनभावन कहीं निराशा,
अपना भी कोई हुआ पराया, बदल गई परिभाषा।।