बेटी की बिदाई
बेटी की बिदाई
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बेटी है बिदा तो होना है
बेटी है जुदा तो होना है
मालूम है मुझको मगर
दिल है कि फिर भी रोना है
आंखों को अश्कों से भिगोना है
यही मिट्टी थी घर की
यही मेरे घर का सोना है
बेटी है जुदा…………
बहुत दिनों से भूला पडा़ था
बस काम में ही
अटका पडा़ था
सोचे नहीं गुजरे हुए लम्हें
सभी रह गए सहमें सहमें
वक़्त भी कितना बौना है
बेटी है जुदा …………
वो कांधो के झूले
वो मेले के रैले
वो गुड़िया की जिद्द पर
नखरों के झमेले
मम्मी की लाडो
तो मेरा खिलौना है
बेटी है जुदा…… …….
वो दादी की लाडो
वो दादा की नानी
जो सुनती थी इनसे
बनी वो कहानी
देखकर बेटी को सयानी
कहती है दादी
बिदा तो होना है
बेटी है जुदा…………
कलेजे का टुकड़ा
अब दूर होगा
घर भी मेरा अब परदेस होगा
वो ना रहेगी घर में फिर भी
जुबां पर उसका ही नाम होगा
हाथों से अपने उसकी
डोली सजाना है
बेटी है जुदा…………
खुश वो रहे ये दुआ मांगता हूँ
मैं ज्यादा भी प्रभु कहाँ मांगता हूँ
खुशी से विदा हो बेटी हमारी
निभानी पडेगी ये रीत पुरानी
बाबुल के घर से
पिया घर जाना है
बेटी है जुदा तो होना है!!
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मूल गीतकार/बेखौफ शायर
डॉ. नरेश “सागर”
(गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज)