Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2021 · 1 min read

बेटी की आवाज़

मां के अंदर से बोली,
उसकी अजन्मी बेटी,
मां !तुम कुछ तो धीरज धरा करो,
जीने नहीं देंगे मुझे ये लोग,
इस बात से तुम ना डरा करो।
मुझे बचाने की खातिर मां,
तुम्हें अंतर्मन जगाना है,
जी जाऊंगी मैं तेरी खातिर,
आत्मविश्वास जगाना है।
चाहे कोई कुछ भी कह दे,
तुम ही मुझे बचा सकती हो,
अंश हूं मां ,मैं तेरा ही,
मुझको मां महसूस करो,
तेरे जीवन में मैं मां,
खुशी की कली सी खिल जाऊंगी।
तेरी गोद का पाकर स्नेह मैं,
जीवन सी मुस्काऊँगी,
बड़ी हुई तो शिक्षा पाकर,
नाम रोशन तेरा कर जाऊंगी,
तेरा सहारा बनकर मां मैं,
बेटी नहीं,तेरा बेटा बनकर दिखलाऊंगी।।
✍माधुरी शर्मा ‘मधुर’
अम्बाला हरियाणा। (21.09.19)
11:40pm शनिवार

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
*कलम (बाल कविता)*
*कलम (बाल कविता)*
Ravi Prakash
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
Neelam Sharma
शेर
शेर
Monika Verma
चन्द्रमा
चन्द्रमा
Dinesh Kumar Gangwar
मैं निकल पड़ी हूँ
मैं निकल पड़ी हूँ
Vaishaligoel
The destination
The destination
Bidyadhar Mantry
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम्हें अकेले चलना होगा
तुम्हें अकेले चलना होगा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
!! कोई आप सा !!
!! कोई आप सा !!
Chunnu Lal Gupta
गज़ल (इंसानियत)
गज़ल (इंसानियत)
umesh mehra
घबराना हिम्मत को दबाना है।
घबराना हिम्मत को दबाना है।
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम रूबरू भी
तुम रूबरू भी
हिमांशु Kulshrestha
आज बगिया में था सम्मेलन
आज बगिया में था सम्मेलन
VINOD CHAUHAN
मेरी कलम से...
मेरी कलम से...
Anand Kumar
स्वाधीनता संग्राम
स्वाधीनता संग्राम
Prakash Chandra
2667.*पूर्णिका*
2667.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*Author प्रणय प्रभात*
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
हे राम !
हे राम !
Ghanshyam Poddar
मै शहर में गाँव खोजता रह गया   ।
मै शहर में गाँव खोजता रह गया ।
CA Amit Kumar
बगिया* का पेड़ और भिखारिन बुढ़िया / MUSAFIR BAITHA
बगिया* का पेड़ और भिखारिन बुढ़िया / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
फितरत सियासत की
फितरत सियासत की
लक्ष्मी सिंह
इंद्रवती
इंद्रवती
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
गुस्सा
गुस्सा
Sûrëkhâ
'एक कप चाय' की कीमत
'एक कप चाय' की कीमत
Karishma Shah
उम्मीदों के आसमान पे बैठे हुए थे जब,
उम्मीदों के आसमान पे बैठे हुए थे जब,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
Loading...