बेटी का मान
चल रहा एक अभियान
मेरी बेटी मेरा अभिमान
कह रहे नई शुरुआत श्रीमान
क्यों हो रहा दिखावे का ज्ञान
मेरी बेटी तो मेरा अभिमान
उसकी बेटी का क्यों नहीं मान
मां अपनी बेटी को दुलार रही
दूसरे की बेटी को दुत्कार रही
एक छत के नीचे फर्क हो रहा
बहु पर क्यों नहीं गुमान हो रहा
गर हर बेटी मेरा अभिमान होता
तो बलात्कारी जैसा नाम ना होता
बदल दो सोच समाज की यारों
चला दो फिर ये अभियान यारों
सभी की बेटी को मान दो यारों
लक्ष्मण सिंह
जयपुर