बेटियों का जहान
क्या सुनाऊं मैं कहानी बेटियों के जहान की, बस आंखों में बसती है उनकी हर कहानी बेजुबान सी।
न जाने कब भरनी पड़ जाए उन्हें उड़ान।
बस यही तो है बेटियों का जहान।
मां की कही हर बात इनकी सर आंखों पर ,
पिता की प्यार की थपकी बहुत है हर मुसीबतों पर ।
पिता का प्यार, मान और सम्मान है इनकी शान।
बस यही तो है बेटियों का जहन।
बहन छोटी हो या बड़ी भाई की हर नादानी पर प्यार आता है ,
क्योंकि उन्हें पता है भाई शादी के बाद राखी बंधवाने जरूर आता है ।
यह अपने भाइयों के चेहरों की है मुस्कान ।
बस यही तो है बेटियों का जहान।
जब से यह जीना सीखती हैं,
अपने आंगन में खुशियां बिखेरती हैं ।
कैसे जीते हैं वह लोग जो एक बेटी को मानते हैं बोझ।
इन्हें तो माता-पिता के हर आंसू की होती है पहचान ।
बस यही तो है बेटियों का जहान
क्यों एक बेटी को ही घर छोड़ना पड़ता है ,
क्यों उसे अपनों को पराया कहना पड़ता है।
कब तक हम ऐसे ही हैं जिएंगे ,
इतना प्यार पाकर भी मां-बाप का हमें ,
पराया कहलवाना पड़ता है ।
बस कर भगवान हमारी भी दिलों की तू मान ।बस यही तो है बेटियों का जहान।