बेटियां
बेटियाँ
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मापनी–212 212 212 212
समान्त–अती पदान्त–बेटियाँ
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वक्त से कीर्तियां खोजती बेटियाँ।
फर्ज रिश्ते सभी सींचती बेटियाँ।
भाल ऊँचा किया कर्म से है सदा,
साधकर लक्ष्य को भेदती बेटियाँ।
खान है नेह की मानसी हो गई,
रागिनी प्रेम की खोजती बेटियाँ।
रूप दुर्गा धरे तो कभी भारती,
धैर्य सीता लिए सोचती बेटियाँ।
सिन्धु साक्षी बनी तो सुनीता कभी,
राष्ट्र गौरव रचा झूमती बेटियाँ।
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नीरज पुरोहित रुद्रप्रयाग(उत्तराखण्ड)