बेटियां बोझ नहीं
बेटियां बोझ नहीं है
यह समझने नहीं महसूस करने की जरूरत है,
जिसे मैं महसूस करता था उनके जन्म से
पर आज जान भी लिया बहुत अच्छे से।
जब बेटी ने बिना कुछ कहे ही बता दिया
मुझे अपनी अहमियत।
उस दौर में जब मैं खोखला हो रहा था अंदर से
हार रहा था अपने आप से
हौंसले जब साथ छोड़ने की धमकी दे रहे थे।
तब बेटी की कारगुजारियां
रेगिस्तान में हरियाली लाने की कोशिश ही लगीं।
मां बाप बेबस होते हैं
न चाहकर भी बच्चों को बहुतेरी बेबसी से
महफूज़ रखना चाहते हैं,
बेटियों को तो हर दुआ चिंता से
बहुत दूर ही रखना चाहते हैं
पर बेटियां सब कुछ जान लेती हैं
फिर भी बड़े करीने से मौन रहती हैं
इतनी भोली बनती हैं
जैसे कुछ नहीं जानती हैं,
कुछ कर पायें या नहीं
पर उससे निजात दिलाने के
ताने बाने दिन रात बुनती हैं,
बिना कहे ही वो अपनी और
आपकी अहमियत का अहसास कराती हैं।
क्योंकि वे बेटी हैं ये कभी नहीं कहती हैं
बल्कि वे आपके लिए विशेष हैं
यह अपनी क्रियाकलापों से कहती हैं
आपका ध्यान रखने के साथ बहुत फ़िक्र करती हैं
सिर्फ इतना ही नहीं है
बेटियां आपके जीवन का विस्तार भी देती हैं,
अपने होने का सिर्फ अहसास कराती हैं,
बेटियां बोझ कहां होती हैं।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश