Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

बेटियां बोझ नहीं

बेटियां बोझ नहीं है
यह समझने नहीं महसूस करने की जरूरत है,
जिसे मैं महसूस करता था उनके जन्म से
पर आज जान भी लिया बहुत अच्छे से।
जब बेटी ने बिना कुछ कहे ही बता दिया
मुझे अपनी अहमियत।
उस दौर में जब मैं खोखला हो रहा था अंदर से
हार रहा था अपने आप से
हौंसले जब साथ छोड़ने की धमकी दे रहे थे।
तब बेटी की कारगुजारियां
रेगिस्तान में हरियाली लाने की कोशिश ही लगीं।
मां बाप बेबस होते हैं
न चाहकर भी बच्चों को बहुतेरी बेबसी से
महफूज़ रखना चाहते हैं,
बेटियों को तो हर दुआ चिंता से
बहुत दूर ही रखना चाहते हैं
पर बेटियां सब कुछ जान लेती हैं
फिर भी बड़े करीने से मौन रहती हैं
इतनी भोली बनती हैं
जैसे कुछ नहीं जानती हैं,
कुछ कर पायें या नहीं
पर उससे निजात दिलाने के
ताने बाने दिन रात बुनती हैं,
बिना कहे ही वो अपनी और
आपकी अहमियत का अहसास कराती हैं।
क्योंकि वे बेटी हैं ये कभी नहीं कहती हैं
बल्कि वे आपके लिए विशेष हैं
यह अपनी क्रियाकलापों से कहती हैं
आपका ध्यान रखने के साथ बहुत फ़िक्र करती हैं
सिर्फ इतना ही नहीं है
बेटियां आपके जीवन का विस्तार भी देती हैं,
अपने होने का सिर्फ अहसास कराती हैं,
बेटियां बोझ कहां होती हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
122 Views

You may also like these posts

बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
- मर्यादाए कभी भी पक्षपात नही करती है -
- मर्यादाए कभी भी पक्षपात नही करती है -
bharat gehlot
टिमटिम करते नभ के तारे
टिमटिम करते नभ के तारे
कुमार अविनाश 'केसर'
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
वो लिखती है मुझ पर शेरों- शायरियाँ
वो लिखती है मुझ पर शेरों- शायरियाँ
Madhuyanka Raj
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
शाश्वत सत्य
शाश्वत सत्य
Dr.Priya Soni Khare
18)”योद्धा”
18)”योद्धा”
Sapna Arora
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
वो बुद्ध कहलाया ...
वो बुद्ध कहलाया ...
sushil sarna
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
shabina. Naaz
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
Suryakant Dwivedi
3150.*पूर्णिका*
3150.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लोकतंत्र का पर्व महान - मतदान
लोकतंत्र का पर्व महान - मतदान
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
धर्म बनाम धर्मान्ध
धर्म बनाम धर्मान्ध
Ramswaroop Dinkar
लघुकथाएं
लघुकथाएं
ashok dard
शोर से मौन को
शोर से मौन को
Dr fauzia Naseem shad
वेदना वेदना की
वेदना वेदना की
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
जब किसी पेड़ की शाखा पर पल रहे हो
जब किसी पेड़ की शाखा पर पल रहे हो
डॉ. दीपक बवेजा
बेहतरीन कलमकारो से मिल
बेहतरीन कलमकारो से मिल
पं अंजू पांडेय अश्रु
यह जो लोग सताए बैठे हैं
यह जो लोग सताए बैठे हैं
Ranjeet kumar patre
कीमत
कीमत
Ashwani Kumar Jaiswal
There are opportunities that come and go, like the trains on
There are opportunities that come and go, like the trains on
पूर्वार्थ
*पिता (दोहा गीतिका)*
*पिता (दोहा गीतिका)*
Ravi Prakash
"शिक्षा"
Dr. Kishan tandon kranti
चटोरी जीभ!
चटोरी जीभ!
Pradeep Shoree
..
..
*प्रणय*
Loading...