बेटियाँ
सुताओं में माँतु-अॉचल, दिखे पति की पूर्णिमा|
पिता की हर भावना का ख्याल, बनकर सूरमा|
अहं को क्षर,बंध हर लें, प्रीतिमय आधार बन |
लड़कियां जीवन-प्रदाता,भाव की गुरुपूर्णिमा|
इसलिए बेटी पढा लो,औ लिखो सुख-जीवनी|
सजगता का भानु इनमें, प्रीत की संजीवनी
लड़कियां घर में रहेंगीं, सफल जीवन आपका
बचालो इनको सुजन ,तब मिले हँसती-जीवनी|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता