*** बेटियाँ ***
*** बेटियाँ ***
लड़की का जन्म होता है
सन्नाटा छा गया , ख़त्म धन-दौलत
ना चेहरे पे मुस्कुराहट
क्या-क्या सोचते पूर्वाभास
असहनीय पीड़ा को
रखा उदर , नॊ मास
हर क्षेत्र में आगे बेटियाँ
तोड़ती समाज की बेड़ियाँ
शिक्षा दो , अधिकार दो
संसार को गतिमान कर दो
बेटियाँ ही सुख-समृद्धि है
बेटियाँ ही श्री,लक्ष्मी है
– राजू गजभिये
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र , बदनावर जिला धार ( मध्य प्रदेश )
– प्रणाम पत्र –
प्रमाणित किया जाता है की , ” बेटियाँ ” कविता मेरी स्वरचित एव मौलिक रचना
है | नियमानुसार ५० शब्दो की है | प्रतियोगिता के सभी नियम मान्य है |
– राजू गजभिये
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र , बदनावर जिला धार ( मध्य प्रदेश )