बेटियाँ
कितने उलझे सवालों का हल बेटियाँ
आज बेटों से ज़्यादा सफ़ल बेटियाँ
आसमानों से आगे के सपने बुनें
फिर भी अचला के जैसी अचल बेटियाँ
जैसे मधुबन में मोहन की मीरा मगन
इतनी पावन कि गंगा का जल बेटियाँ
ये विधाता का अनमोल वरदान हैं
साधना के शजर का हैं फल बेटियाँ
बेटियाँ जैसे आमद की हो शायरी
मीर ओ ग़ालिब की जैसे ग़ज़ल बेटियाँ
चाँद तारे नहीं,इनको आकाश दो
बिन उड़ानों के रहती विकल बेटियाँ
टिड्डियों से हवस की बचा लो हमें
मेरे बाबुल तुम्हारी फ़सल बेटियाँ
इनको अबला समझ कर न ग़लती करो
कल के जैसी नहीं आजकल बेटियाँ
बेटियाँ जैसे सूरज की उजली किरण
चन्द्रमा की कलाएँ सकल बेटियाँ
हीर ओ लैला हैं,मरियम हैं,दुर्गा भी हैं
हैं धरा की धुरी ये कुशल बेटियाँ