बेटियाँ
आज का दिन है जिनके नाम,हर घर की वो होती हैं शान।
बेटी पिता के दिल की है धड़कन,तो माँ का बेटी बढ़ाये मान।।
भाई के माथे तिलक लगा कर,भाई का करती है वो सम्मान।
बहन की बनती राजदार और, दुःख सुख का रक्खे वो ध्यान।।
शिक्षा के हर क्षेत्र में बेटियाँ ही तो, मात पिता का बढ़ाती हैं मान।
तोड़ पुरानी जंजीरों को ये बेटियाँ,रोशन कर रही हैं अपना भी नाम।।
मात पिता के संस्कार ले के बेटियाँ, ससुराल पति संग आ जाती हैं।
छोड़ के बाबुल के घर को ये बेटियाँ, खुशी खुशी अपने घर को अपनाती हैं।।
कल तक थी जो माँ की बेटी, अब वो खुद माँ बन जाती है।
मात पिता से मिले जो संस्कार, वो अब अपनी बेटी को सिखलाती है।।
कहे विजय बिजनौरी बेटियां ही, घर व समाज में हरेक रूप में छा जाती है।
सहनशक्ति और धैर्य का संगम,ये अपने हरेक रूप में दिखला पाती हैं।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी