बेटियाँ
बेटियाँ घर की फुलवारी हैं,
परिवार की शोभा न्यारी हैं।
बहुत ज्यादा वफादार हैं बेटियाँ,
हर कामों में मददगार हैं बेटियाँ,
पिता के सीने लग खुशियाँ बाँटें,
समझ इनकी बड़ी प्यारी है,
बेटियाँ घर की फुलवारी हैं।
चहकते विहान का आफताब हैं बेटियाँ,
महकते शाम का महताब हैं बेटियाँ।
वत्सल के श्रृंगार का रस होतीं ये,
कल के संसार को ही संवारी हैं,
बेटियाँ घर की फुलवारी हैं।
असीम प्यार लुटाती हैं बेटियाँ,
गम में भी मुस्कराती हैं बेटियाँ,
छोड़ मायका जब जाती ससुराल,
दर्द छुपाती ऐसी कुवांरी है,
बेटियाँ घर की फुलवारी हैं।
बहन पत्नी माता बहू सास बेटियाँ,
नायिका बन भूमिका निभाती बेटियाँ,
सबको बाँट प्यार हँसाती हैं हरदम,
रिश्तों के लिए अपनों को वारी हैं,
बेटियाँ घर की फुलवारी हैं।
अगाध प्यार पाने का हकदार है बेटियाँ,
फिर भी सहती हैं अत्याचार बेटियाँ।
इनके ही प्यार से चलती है सृष्टि,
फिर भी दुनिया ने कोख में मारी है,
बेटियाँ घर की फुलवारी हैं।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर, उ.प्र
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