“बेटा नहीं तो क्या ,बेटी तो हूं”
मैं बोझ नहीं, मैं तेरा भविष्य हूं ।
बेटा नहीं तो क्या ,बेटी तो हूं।
मासूम सा चेहरा, कोमल सा मन मेरा।
जीवन से पहले ,मृत्यु दी यही है फ़र्ज़ तेरा।
हर रिश्ते के, जज्बात को जीती हूं।
बेटा नहीं तो क्या, बेटी तो हूं।
ऐसा क्या है जो मैं कर नहीं सकती।
एक मौके की तलाश है क्या मैं लड़ नहीं सकती।
अपने हक के लिए ,हर घड़ी में रोती हूं।
बेटा नहीं तो क्या, बेटी तो है।
मैं भी लेती स्वाश हूं ,जीता जागता इंसान हूं।
क्यों दामन ,अपना छुड़ा लिया।
जीवन से पहले, मुझे मिटा दिया।
तेरे घर की ,चमकती ज्योति हूं।
बेटा नहीं तो क्या, बेटी तो हूं।
तेरे आंगन की, खुशियां बन जाऊंगी।
घर परिवार सब महक आऊगी।
भूल क्यों जाता है ,मैं सीप का मोती हूं।
बेटा नहीं तो क्या ,बेटी तो हूं।