…बेचैन धरा….!!
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धरा आँचल गुम हुआ कलुष तह में…
बिखरा है तिमिर नभ तल में कहीं…
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विहग-वृंद आतुर हुए तरु आँचल को…
मंद्र ध्वनि धरा की गूँज रही है कहीं…
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तसव्वुर के भँवर में उलझा है जीवंत…
शीतल चाँदनी भी व्याकुल-सी है कहीं….
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#जज़्बाती…
#rahul_rhs