बेकार है मौत पर सोग मनाना..
जीतेजी तो कभी फुर्सत से बैठे भी नहीं हमारे करीब,
और अब हमारी मौत का सोग मना रहे हो ।
कभी किसी गम में रोए तो रूमाल भी न दिया,
और मेरी मय्यत पर बैठकर मेरा कफन भिगो रहे हो ।
जीतेजी तो कभी फुर्सत से बैठे भी नहीं हमारे करीब,
और अब हमारी मौत का सोग मना रहे हो ।
कभी किसी गम में रोए तो रूमाल भी न दिया,
और मेरी मय्यत पर बैठकर मेरा कफन भिगो रहे हो ।