बूढी दिवाली
इक दूजे से पूछे दो बूढी नजरे सवाली
आयेगा बेटा क्या ,चंद रोज मे है दिवाली
आऊंगा इस दफा हर बार यही कह देता है
यही कहकर हर दफा बात उसने टाली
कई बरसो से मुंडेर पर रोशनी नही हुई है
होगा अबकी बार क्यारोशन,घर का आंगन खाली
तेरी पसन्द की सारी चीजे मां हर बार बना लेती है
क्या नही जलेगी इस बार भी सगुन की पांच दियाली
हम तेरी राह तकते है
लक्ष्मी से ज्यादा तेरी उम्मीद करते है
आंखो के अश्रु मे आशा की लौ जला डाली
इन बूढी आंखो को चमक मिले इस बार
आजाओ बेटा इस बरस हम भी मना ले दिवाली
कुछ बूढी आंखो के इन्तजार का त्योहार है दिवाली