बूढ़े लोग।
बूढ़े लोग,
जिनके झुर्री भरे चेहरे में छिपा है दशकों का इतिहास,
इतिहास जिसमे उनके अनगिनत छोटे बड़े संघर्ष हैं,
किसी में जीते हैं किसी में हारे हैं,
कही हार की पतझार तो कहीं विजय की बहारें हैं,
पर वे सारी लड़ाइयां उन्होंने सिर्फ अपने लिए नहीं लड़ीं,
तुम्हारे, यानी अपने बच्चों के लिए भी लड़ी,
जो आज उन बूढों को बोझ समझते हैं,
जिनका झुर्री भरा चेहरा उन्हें अच्छा नहीं लगता,
वे यदि अपने अनुभवों के मोती देते हैं,
तो उन्हें कंकर की तरह फेंक दिया जाता है,
गलती से कभी कोई शिकायत करें,
तो सुलगते हुए शब्दों से सेंक दिया जाता है,
ये बूढ़े लोग यूं ही नहीं समय से पहले बुढा गए,
वे अपनी कीमती उम्र की भेंट तुम्हारे लिए चढ़ा गए,
और तुम उन्हें एक सम्मानजनक जिंदगी भी नहीं दे सकते,
मुँह से मत बोलिये पर क्या खामोश बंदगी भी नहीं दे सकते।
****
Kumar Kalhans