बुढ़ापा –आर के रस्तोगी
आ गया है बुढ़ापा,शरीर अब चलता नहीं |
चेहरा जो गुलाब था,वह अब खिलता नहीं ||
हो गयी आँखे कमजोर,अब दिखता नहीं |
काँपने लगे है हाथ,अब लिखा जाता नहीं ||
हो गये है कान कमजोर,अब सुना जाता नहीं |
लगा लिया चश्मा भी,उससे काम चलता नहीं ||
टूट गये सभी दाँत,अब खाना खाया जाता नहीं |
लगा लिया है दाँतो का सैट,पर काम चलता नहीं ||
लड़खड़ाने लगे है पैर उनसे अब चला जाता नहीं |
ले लिया है बैत का सहारा,उससे काम चलता नहीं ||
करता हूँ प्रार्थना ईश्वर से,इस संसार से उठा ले मुझे |
ईश्वर भी सुनता नहीं, क्यों नहीं उठता अब वह मुझे ||
आर के रस्तोगी
मो 997100645