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2 Jun 2020 · 1 min read

बुल बुल का गीत

सुबह सबेरे छत पर आकर
जब गाती है बुल बुल गीत

कितना मधुर सुरीला होता
है उसका अनुपम संगीत…

अपनी मस्ती में खो जाती
स्वयं शारदा कण्ठ में आती

जब वह छेड़े तान सुरीली
भोर भैरवी स्वर बरसाती

हाव भाव से दर्शित होता
सुनता हो उसका मन मीत…

रोज समय पर उसका आना
आकर मीठा गीत सुनाना

फुदक फुदक कर इधर उधर
और फुर्र से फिर उड़ जाना

गर्व भरा उसका छोटा तन
लगे लिया जगती को जीत…

है छोटी पर बड़ा भाव है
नित गाने का उसे चाव है

बाधक बनता जो गाने में
उसे देखकर बहुत ताव है

उसके जीवन की सरिता में
निर्मल जल सी बहती प्रीत…

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 334 Views
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