बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
(शेर)- कब आयेगा रामराज, कब सुरक्षित होगी सीता भारत में।
कब पैदा होना बंद होंगे रावण, हे राम तुम्हारे भारत में।।
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बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे राम जी।
लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।।
ओ मेरे राम जी——————–(2)
बुला रही है सीता तुम्हारी ——————-।।
चीरहरण सीता का आज भी, हो रहा है सरेआम।
आबरू सीता की आज भी, लुट रही है सरेआम।।
आज भी जिन्दा है हजारों, रावण मेरे राम जी।
लुट रही है सीता तुम्हारी , अब भी मेरे राम जी।।
ओ मेरे राम जी——————–(2)
बुला रही है सीता तुम्हारी —————–।।
अपनों के हाथों अपने घर, जल रही है सीता आज।
रस्मों- रिवाजों में भी बलि, चढ़ रही है सीता आज।।
रक्षक ही भक्षक बन गये हैं, अब तो मेरे राम जी।
लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।।
ओ मेरे राम जी——————–(2)
बुला रही है सीता तुम्हारी—————–।।
नहीं है सुरक्षित मासूम बच्चियां, आजाद हिंदुस्तान में।
क्यों है सीता पर जुल्मों- सितम, आजाद हिंदुस्तान में।।
नहीं मिल रहा न्याय सीता को, अब भी मेरे राम जी।
लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।।
ओ मेरे राम जी——————–(2)
बुला रही है सीता तुम्हारी ——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)