बुरा वक्त
बुरा वक्त जिसमे,
छोड़ जाता है भगवान भी..
कोई मन्नत ,कोई दुआ ;
काम नही आती..
ऐसे में हम उनसे, क्यों रूठे?
जो हमारी खुशियों में ,
शामिल थे हरदम..
दोस्त, रिश्तेदार ,भाई,
सब अपने ही तो है..
उनका क्या कुसूर,
जब वक़्त ही दोषी हो…
बुरा वक्त जिसमे,
छोड़ जाता है भगवान भी..
कोई मन्नत ,कोई दुआ ;
काम नही आती..
ऐसे में हम उनसे, क्यों रूठे?
जो हमारी खुशियों में ,
शामिल थे हरदम..
दोस्त, रिश्तेदार ,भाई,
सब अपने ही तो है..
उनका क्या कुसूर,
जब वक़्त ही दोषी हो…