“बुराई की जड़”
“बुराई की जड़”
बुराई की जड़ खोजकर देखो
वो कहीं नहीं होती,
अमरबेल की तरह परजीवी बन
बातों ही बातों में
दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“बुराई की जड़”
बुराई की जड़ खोजकर देखो
वो कहीं नहीं होती,
अमरबेल की तरह परजीवी बन
बातों ही बातों में
दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति