बुद्ध रूप में गुरू बन गये
भ्रमण कर रहे भिक्खु जग में,
बुद्ध रूप में गुरू बन गये ,
दे रहे है ज्ञान जगत को,
पाने को मन शांति सबको।
विश्व गुरू बने बुद्ध हमारे,
खोज किये जब दुःख क्या है?
कैसे उबरे जग के अँधियारे से,
कारण पाये उपदेश दिये है।
सत्य मार्ग पर चल कर आगे,
बुद्ध हुए जब सब के प्यारे,
महिमा उनकी सबने जाना,
पंचशील को कहा है अपनाना।
काम क्रोध लोभ मोह तज सब जग मे,
मारा को हरा कर जीते ,
ज्ञान प्रकाश मुख मंडल है खींचे,
कर रहे है कल्याण जगत में।
कषाय रंग का चीवर पहने,
केश मुंडा के नव जीवन पकड़े,
अप्प दीपो भव कह रहे तब से,
जग में तुम ही महान हो बुद्ध।
विश्व गुरू बने बुद्ध हमारे,
किया है आजीवन कल्याण, हे बुद्ध !
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।