बुद्धु बक्सा ( tv) और हम ( हास्य व्यंग कविता)
कहा तो जाता है इसे बुद्धू बक्सा ,
मगर वास्तव में यह बड़ा सयाना है ,
अपना मायाजाल फैला कर मायावी ,
हमें किया इसने बहुत दीवाना है।
समझते सत्य जो है इसमें दिखता,
परंतु सब झूठी फैलाई हुए प्रपंचना है।
जानते है सब मगर फिर भी फंसते है ,
बटन ऑन होते ही बुद्धि हर जाना है ।
खुद की समस्याएँ कोई नहीं जीवन में,
फिर पात्रों के जीवन में क्यों घुसना है ?
उलझे रहते हैं खुद किन्हीं उलझनों में,
पर खलनायकों के कुचक्रों में उलझना है।
उसपर से एकता कपूर के धारावाहिक !
भाई ! खींचो जितना लंबा खींचना है ।
अनगिनित और भांति भांति के चैनल्स ,
जैसे मीडिया की मंडी में दुकानें सजना है।
ख़त्म हो जाए जिंदगी मगर जुनून बरकर,
पीडी दर पीडी जो इसने बस चलते रहना है।
भक्ति चैनल्स का नाम लो बाबाओं की फ़ौज,
रंग बिरंगे,रंगीले हावभाव के संग पधारना है।
परंतु एक काम इसका तारीफ के काबिल है,
उत्पन्न की नई पीढ़ी में इसने भक्ति भावना है।
धर्म ग्रंथो से लेकर पुराण संबंधी धारावाहिक ,
महाभारत और रामायण से परिचय करवाना है।
धार्मिक भावनाओं से जुड़े निर्माताओं ने तो ,
झड़ी लगवा दी काम उनका देवी देवताओं पर ,
धारावाहिक बनाना है।
और कभी इतिहास को दोहराते धारावाहिक ,
उद्देश्य देश के वीरों/ वीरांगनाओं की दास्तान ,
दोहराना है।
यह तो रही धार्मिक और ऐतिहासिक प्रशंसा ,
इसका काम राजनीति में भी दिलचस्पी पैदा
करना है।
देश में विभिन्न प्रकार के राजनीतिक दल है ,
उनके नेताओं के चरित्र से परिचय करवाना है।
ढेर सारे खबरिया चैनल्स और उनके वाचक ,
तौबा ! हुनर खबरों को मसाले लगाकर परोसना है।
देश विदेश के सब तरह के समाचार प्रस्तुत है ,
इस बुद्धु बक्से के सौजन्य से पूर्ण पैसा वसूल ,
होना है।
कुल मिलाकर यह यंत्र नवरसों का अद्भुत खजाना है,
सुख दुख खुशी गम सभी का अनमोल तराना है।
प्रयोग करो इसका समझदारी से तो बहु उपयोगी है,
ज्ञान ,विज्ञान , कला, संस्कृति और यहां तक के ,
मानव को मानवता सिखाने की प्रेरणा है ।
छुरी सब्जी भी काटती है और किसी का गला भी ,
अब यह उक्त व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर है,
उसने इसका उपयोग किस प्रकार करना है।
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