बुद्धि
बुद्धि बड़ी विचित्र होती है ।
किसी में कम होती है तो
किसी में अधिक होती है।
स्मरण शक्ति का स्रोत यही है।
यही अतीत बतलाती है।
समस्या पैदा करने पर यह
चालाकी बन जाती है।
जब कोई समस्या हल करती है
चतुर सुजान कहलाती है।
कभी धर्म में लगकर यह
दया रूप दिखलाती है।
तो कभी अधर्म में पड़कर यह
निर्दय भी बन जाती है।
रामायण की मर्यादा यही है
त्याग और प्रेम सिखाती है।
महाभारत की शकुनी बनकर
यही कुटुंब युद्ध कराती है।
सत्ता धन का दुरुपयोग करने पर
दुर्योधन कहलाती है।
तो ज्ञान का अर्जन करने वाला
अर्जुन भी बन जाती है।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’