बुद्धि वृहत् या बल
जिंदगी में सदैव,
बुद्धि की फतह होती है,
इस उहापोह में,
कभी ना रहना तुम।
इस धरा के सभी प्राणी में,
जिसको लब्धि बुद्धि है,
कृतार्थ हो जाता उसका जीवन,
यह बुद्धि एक अनमोल रत्न है,
जिसको लहना हर मनुष्य की चाह।
अच्छे कर्म करने में ही,
साथ हमारा निभाती बुद्धि,
गलत कर्म करने में,
तजना देती साथ हमारा बुद्धि।
बल पर बुद्धि की विजय,
ना होती सदैव है,
अच्छे कर्म करने में,
जिस बल का होता सदुपयोग,
वह बल होता विजयी है।
क्या होता बुद्धि लब्धि से,
ना मिलती फिर भी,
सभी को मंजिल है,
मंजिल वही लहता है,
जो ना करता बुद्धि का दुरुपयोग,
मंजिल वही ना लहता है,
जो करता बुद्धि का दुरुपयोग।
नाम :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार