Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

बुद्धं शरणं गच्छामि

दुःख
बुद्ध की
दृष्टि से
वह कारण है
जिसका निवारण
किया जा सकता है
पर बुद्ध ने
सुख की बात
नहीं की
क्योंकि
दुःख को
जान लेना ही
सुख है।

Language: Hindi
2 Likes · 60 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*पापा (बाल कविता)*
*पापा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मेरा गुरूर है पिता
मेरा गुरूर है पिता
VINOD CHAUHAN
.....★.....
.....★.....
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
हम यहाँ  इतने दूर हैं  मिलन कभी होता नहीं !
हम यहाँ इतने दूर हैं मिलन कभी होता नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
।।  अपनी ही कीमत।।
।। अपनी ही कीमत।।
Madhu Mundhra Mull
"उम्मीद"
Dr. Kishan tandon kranti
🙅ओनली पूछिंग🙅
🙅ओनली पूछिंग🙅
*प्रणय प्रभात*
2988.*पूर्णिका*
2988.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी
जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी
Pratibha Pandey
मेरा बचपन
मेरा बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
When the ways of this world are, but
When the ways of this world are, but
Dhriti Mishra
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
वो बचपन था
वो बचपन था
Satish Srijan
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
gurudeenverma198
वो एक शाम
वो एक शाम
हिमांशु Kulshrestha
कोई आरज़ू नहीं थी
कोई आरज़ू नहीं थी
Dr fauzia Naseem shad
क्या है उसके संवादों का सार?
क्या है उसके संवादों का सार?
Manisha Manjari
Today's Reality: Is it true?
Today's Reality: Is it true?
पूर्वार्थ
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
Khaimsingh Saini
आजादी का दीवाना था
आजादी का दीवाना था
Vishnu Prasad 'panchotiya'
किरणों का कोई रंग नहीं होता
किरणों का कोई रंग नहीं होता
Atul "Krishn"
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
बेटा
बेटा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
sushil sarna
हिन्दी पर नाज है !
हिन्दी पर नाज है !
Om Prakash Nautiyal
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
आर.एस. 'प्रीतम'
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...