बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं (हास्य व्यंग)
बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं
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बुढ़ापे में अभी भी जवानी के मजे लेता हूं।
रसीले आम को अभी भी मै चूस लेता हूं।।
बुढ़ापे में भले ही मेरे सारे दांत टूट गए है।
फिर भी नरम मसूड़ों से बादाम तोड़ लेता हूं
बुढ़ापे में भले ही आंखो से दिखाई नही देता।
फिर भी मै सुवर्ण सुंदरियों को निहार लेता हूं।।
बुढ़ापा उसे आता है जो कभी खुश नहीं रहता।
मैं तो हर गम में अपनी खुशी को ढूंढ लेता हूं।।
बुढ़ापे में अभी भी मै भरपूर प्रेम करता हूं।
कोई गलत न समझे प्रभु से प्रेम करता हूं।।
रिटायर अवश्य हुआ हूं,पर अभी टायर नही हूं।
अभी भी कागज पर अपनी कलम घिस लेता हूं।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम