बुजुर्ग बाबूजी
मकान की चार दिवारी है जो
कोने में रखे घराट है वो ।
जानते हैं रिश्तो की हर महीन्नता को
घर के बुजुर्ग बाबू जी हैं वो ।।1।।
हर मसाले में नमक है जो
चाय में चीनी गुड्ड है वो ।
बच्चों की लोरी मां के सुहाग है जो
घर के बुजुर्ग बाबूजी हैं वो ।।2।।
रिश्तों को जोड़े रखते हैं जो
हर जरूरत को पूरी करते हैं वो ।
ख्याल सबका है प्यार करते हैं सबको
घर के बुजुर्ग बाबूजी हैं वो ।।3।।
वो है तो जन्नत हे ये घर
वो हैं तो प्यारा लगता है सब ।
मां की भावनाओं को समझते हैं जो
घर के बुजुर्ग बाबूजी हैं वो ।।4।।
दीदी के प्यारी दादी के न्यारे
रिश्तों को हर पल ऐसे संवारे ।
मन की भावनाओं को समझते हैं जो
घर के बुजुर्ग बाबूजी हैं वो ।।5।।