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30 Jul 2021 · 1 min read

बुंदेली लघुकथा- परछाई़

क्षेत्रिय भाषा-‘बुन्देली’ लघुकथा”

लघुकथा-‘‘परछाईं’’

वास वेसिन के सामने लगे तख्ता पै अक्सर गौरया चोंच मारती। जब कैऊ बेर उतै से हटावे के बाद भी उकौ चोंच मारवौ बंद नइं भऔ तो मैंने उ तखता के ऊपरै एक उन्ना लटका दऔ।
अब गौरया तखता के लिंगा तो आत है पै उकौ चोंच मारवौ बंद को गऔ। वो भौत दिना लौ उतै आकै कछू खोजत फिरत ती शायद उकौ कौनउ अपना हिरा गऔ होय।
0000

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक’आकांक्षा’पत्रिका
टीकमगढ़ (मप्र) 472001
मोबाइल-9893520965

Language: Hindi
1 Like · 240 Views
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