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28 Jun 2021 · 1 min read

बुंदेली दोहे- डुबरी

बुंदेली दोहे बिषय-डुबरी

1

डुबरी,मुरका अरु लता,
बुंदेलों की शान।
बिजी,बेर, महुआ,चना,
बुंदेली पहचान।।
***
2

डुबरी महकें भौतई,
देख भूख बढ़ जात।
खाबे कौ माने नई,
देख लार टपकात।।
***

3
डुबरी डुक्को खात है,
बड़े चाव से आज।
खातन ताकत मिल गयी,
कर रइ घर के काज।।
***

© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.co
(मौलिक एवं स्वरचित)

Language: Hindi
296 Views
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