बुंदेली दोहा-मटिया चूले
बुंदेली दोहा- मटिया चूले
मटिया चूले हौ घरै,मटिया कयलौ सौय।
#राना रोटी जौ बनै ,स्वाद अलग ही हौय।।
मटिया चूले में जले,लकड़ी कंडा आन।
#राना धुआँ बिगार दे,थोरो भौत मकान।।
मटिया चूले हर घरै,देहातन में होत।
#राना कंडा बारबै,मिल जातइ हर कोत।।
मटिया चूले जब जलै,अँगरा भी हौं लाल।
सिकत गकइयाँ है खरीं,’राना’ हौत निहाल।।
मटिया चूले की जगाँ,अब चल गइ है गैस।
#राना अब तो गाँव में,बदल रयै परिबेस।।
एक हास्य दोहा –
धना कात #राना सुनौ ,इतै न डारौ डोर।
मटिया चूले आज ही ,हम नें दयँ है फोर।।
*** दिनांक-1.7.2024
✍️ #राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com